RTI आवेदन लेने से मना करने पर 25 हजार का जुर्माना।

RTI आवेदन लेने से मना करने पर 25 हजार का जुर्माना।


₹10 का आरटीआई आवेदन लेने से मना करने वाले अधिकारी के ऊपर ₹25000 का जुर्माना मध्यप्रदेश सूचना आयोग ने ठोका है।  राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ₹25000 का जुर्माना शहडोल के जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री हरीश तिवारी के उपर लगाया  है।*


  हरीश तिवारी पूर्व में कार्यपालन यंत्री अपर पुरवा नहर रीवा में थे। इसी दौरान उनके सामने यह आरटीआई आवेदन दायर हुआ था। उनके ख़िलाफ़ राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के पास शिकायत की गयी कि हरीश तिवारी ने RTI की ₹10 की फीस के लिए RTI अपीलकर्ता से स्टाम्प लाने को कहा जबकि अपीलकर्ता नगद पैसा जमा करना चाहता था। 


     अपीलकर्ता देवेंद्र तिवारी पेशे से किसान हैं। रीवा में इनके खेत के ऊपर गुजर रही जल संसाधन विभाग की  नहर से पानी के रिसाव की वजह से इनके खेत में पानी भर रहा है। नहर में लीकेज खराब कंस्ट्रक्शन क्वालिटी की वजह से है।


    इसके चलते इनके 6 एकड़ खेत में इस वजह से हर साल ₹500000 का नुकसान तिवारी को होता है। पिछले 15 सालों से वे इसकी शिकायत हर स्तर पर कर चुके हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।  परेशान देवेंद्र तिवारी ने कानूनी नोटिस भी भिजवाया विभाग को लेकिन समस्या का कोई हल न निकला।


    हारकर देवेंद्र तिवारी ने उनकी शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई है यह जानने के लिए आरटीआई आवेदन लगाने अपर पुरवा नहर संभाग के कार्यालय पहुंचे वहां पर अधिकारियों ने उनको ₹10 स्टांप लेकर आने को कहा जबकि तिवारी नगद भुगतान कर रसीद लेकर आरटीआई आवेदन दायर करना चाहते थे।


    तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने हरीश तिवारी ने आवेदन के ऊपर बाबू से लिखवा  दिया की ₹10 स्टांप पेपर लगाने के बाद ही आरटीआई आवेदन मान्य किया जाएगा।


   जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम में फीस कार्यालय में नगद रुपए जमा कर रसीद लेकर, स्टांप, बैंक चालान, ऑनलाइन ट्रेजरी में जमा कर और पोस्टल आर्डर के माध्यम से देने का प्रावधान  है। 


    *इस प्रकरण में शिकायत प्राप्त होने के बाद राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अधिनियम की धारा 18  के तहत पूरे मामले की जांच की। जांच के दौरान दोषी अधिकारियों ने आयोग को गुमराह करने की कोशिश भी की। कार्यपालन यंत्री ने आयोग को सुनवाई में कहा कि आवेदक ने स्वयं कार्यालय की सील ही लगा ली है और टीप भी दर्ज कर दी है।


   हालांकि इसके उलट विभाग के बाबू ने सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष  स्वीकार किया  कार्यपालन यंत्री हरीश तिवारी तिवारी के आदेश पर टीप उन्होनें  दर्ज की थी, और सील भी उन्होंने लगा करके दिया था।


   आयुक्त राहुल सिंह ने कार्यपालन यंत्री हरीश तिवारी को यह भी कहा कि अगर आवेदक द्वारा फर्जी तरीके से सील लगाई गई है तो विभाग ने पुलिस में इसकी शिकायत क्यों नहीं की तो इसका वह कोई जवाब ना दे पाए। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने आरोप लगाया कि आवेदक बिना फीस के आवेदन लेकर आए थे।


    इसलिए स्वीकार नहीं किया गया। सिंह ने जांच में पाया की आवेदक की मंशा फ़ीस देने की रही थी और जब अधिकारी का वहां से स्थानांतरण हो गया तब वे फ़ीस  देकर यही जानकारी प्राप्त कर पाए वहीं आवेदक अपने खर्चे पर रीवा से राज्य सूचना आयोग भोपाल तक आए शिकायत दर्ज कराने इससे साफ है कि ₹10 की नियत फीस देने की आवेदक की हमेशा से रही थी।


    सिंह ने सूचना आयुक्त  सिंह ने  जब यह पूछा  कि अगर आवेदक  बिना फीस के आवेदन जमा करना चाह रहा था  तो यह टीप क्यों नहीं दर्ज की गई तो इसका जवाब भी विभाग के अधिकारी नहीं दे पाए।


  राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि आयोग पूर्व में ऐसे प्रकरणों से भी अनजान नहीं है जहां पर ₹10 फीस के लिए अपीलकर्ता को परेशान किया गया हो ताकि वह हतोत्साहित होकर आरटीआई आवेदन दायर न करें। इससे पहले भी आयोग के समक्ष आए एक प्रकरण में अपीलकर्ता से सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चालान के माध्यम से ही आरटीआई आवेदन की फीस जमा करने के लिए कहा गया था।


   यह सब विधि विरुद्ध है क्योंकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की मंशा जानकारी बहुत ही सुलभ तरीके से अपीलकर्ता को उपलब्ध कराने की है । इसीलिए कानून में इसके लिए  विशेष प्रावधान किए गए हैं।*


  *राज सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस बात पर चिंता जताई कि पहले ही RTI आवेदनों का न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप निराकरण ना होने से अपना आयोग के समक्ष शिकायतों और अपीलों का अंबार लगा हुआ है।


   अधिकांश मामलों में प्रथम दृष्टया सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की घोर अवहेलना हो रही है। ऐसे मे इस तरह की शिकायत जहा आरटीआई आवेदन लगाने में ही लोक सूचना अधिकारी विधि विरुद्ध तरीके से जानबूझकर आवेदक के साथ असहयोग करते हुए सूचना तक पहुंचने में अड़ंगा लगाते हैं पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।


    ताकि भविष्य में इस तरह के प्रकरणो पर लगाम लग सके।*